Meri Ulfat Madine se yunhi nahin मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं लिरिक्स
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नात
मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं
नात खा
अल्लामा हाफिज बिलाल कादरी
NAAT , NAAT LYRICS , NAAT SHARIF , मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं IN HINDI
मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं
मेरे आक़ा का रोज़ा मदीने में है
में मदीने की जानिब न कैसे खीचूँ
मेरा दीं और दुनिया मदीने में है
अर्शे आज़म पे जिसकी बड़ी शान है
रोज़ा-इ-मुस्तफा जिसकी पहचान है
जिसका हमपल्ला कोई महोल्ला नहीं
एक ऐसा महोल्ला मदीने में है
मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं
मेरे आक़ा का रोज़ा मदीने में है
में मदीने की जानिब न कैसे खीचूँ
मेरा दीं और दुनिया मदीने में है
हमको अपनी तलब से सिवा चाहिए
आप जैसे हैं वैसी अता चाहिए
क्यों कहूं ये अता वो अता चाहिए
आपको इल्म है हमको क्या चाहिए
आशिकाने नबी के है दिल की सदा
सब्ज़ गुम्बद के साये में घर चाहिए
मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं
मेरे आक़ा का रोज़ा मदीने में है
में मदीने की जानिब न कैसे खीचूँ
मेरा दीं और दुनिया मदीने में है
फिर मुझे मौत का कोई खतरा न हो
मौत क्या ज़िन्दगी की भी परवाह न हो
काश सरकार एक बार मुझसे कहें
अब तेरा जीना मरना मदीने में है
मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं
मेरे आक़ा का रोज़ा मदीने में है
में मदीने की जानिब न कैसे खीचूँ
मेरा दीं और दुनिया मदीने में है
वो मदीना जो कुनैन का ताज है
जिसका दीदार मोमिन की मेराज है
ज़िन्दगी में खुदा हर मुसलमान को
वो मदीना दिखा दे तो क्या बात है
मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं
मेरे आक़ा का रोज़ा मदीने में है
में मदीने की जानिब न कैसे खीचूँ
मेरा दीं और दुनिया मदीने में है
सरवरे दो जहां से दुआ है मेरी
हाँ यही चश्मे तर इल्तिजा है मेरी
उनकी फेहरिस्त में मेरा भी नाम हो
जिनका रोज़ाना जाना मदीने में है
मेरी उल्फत मदीने से यूँहीं नहीं
मेरे आक़ा का रोज़ा मदीने में है
में मदीने की जानिब न कैसे खीचूँ
मेरा दीं और दुनिया मदीने में है
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