Eid milad un nabi क्या है और कैसे मनाया जाता है
असलामु अलैकुम आज हम आपको Eid milad un nabi क्या है और कैसे मनाया जाता है ये सब इस पोस्ट मे आपको बताएँगे Eid milad un nabi हमारे नबी करीम सलल्लाहो अलैहीvasalam की पैदाइश का दिन । हम सभी के लिए Eid milad un nabi सभी ईद से बड कर ये ईद है । किवकी अगर हमारे नबी न आते तो ये सूरज ,चाँद ,सितारे कुछ न होती नहीं अल्लाह पाक इस दुनिया को बनता आइये हम Eid milad un nabi क्या है और कैसे मनाया जाता है पूरी मालूमात तफ़्सीर के साथ लेते है ।
Eid milad un nabi क्या है ? what is eid milad un nabi
हुजूर नबी करीम और आखरी नबी सलल्लाहो अलैही वसलम की पैदाइश के दिन को हम Eid milad un nabi कहते है उर्दू लफ्ज़ मे हुजूर की आमद का दिन भी कहा जाता है ।
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमा की पैदाईश / नबी की आमद
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमा की पैदाईश १२ रबीउल अव्वल शरीफ पीर के दिन हुई। eid milad un nabi आप सुबह सादिक के वक्त दुनिया में तशरीफ लाए।
लोगों को ये मामला समझ में नहीं आ रहा था की फकर ए कायनात सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुकम्मल रात में तशरीफ लाते या मुकम्मल दिन के उजाले में जलवागर हुए। दानिशमंद ये बात समझ गए की अगर आकाए कायनात मुकम्मल दिन में तशरीफ लाते तो दिन फूले नहीं समाता और रात को चैलेंज करता और अगर रात में जलवगर होते तो रात दिन को चैलेंज करती की आका ने मुझे नवाज़ा है तेरी कोई हकीकत नहीं।
मुस्तफा जाने आलम मुझमें तशरीफ लाए हैं। eid milad un nabi तो हुजूरे अनवर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ऐसे वक्त दुनिया में तशरीफ लाए की रात जाते जाते चेहरए मुस्तफा की ज़ियारत करे और दिन आते आते चेहरए मुस्तफा की ज़ियारत करे। क्यूंकि हुजूर सरवरे कायनात दुनिया में आखरी नबी और रसूल बनकर तशरीफ लाए चूंकि आप अल्लाह के ख़ास महबूब और प्यारे रसूल हैं। पैग़म्बरे आज़म की शान ये है की उनका चेहरए अतहर वदुहा है, जुल्फे मुबारका वल्लैल, सीनाए मुकद्दस अलमनशरह और माज़ागा का सुरमा है। यदुल्ला कहे हाथ अल अस्र का ज़माना है, अल फज्र की पेशानी, मोतियों से खूबसूरत दांत, मा यन्तिको ज़बाने मुकद्दस और वजहुल्ला की आन है। अल्लाह के महबूब आमना का लाल साहिबे शर्फो कमाल है नबियों के सरदार, उम्मत के दे गमख्वार, चेहरए अनवर रौशन’ और खूबसूरत, दस्ते मुकद्दस और पाए मुबारक सफेद और मुनव्वर ।
अल्लाह पाक ने हुजूर को किन किन चीज़ो से नवाज़ा है ?
अल्लाह तबारक व तआला ने अपने प्यारे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ४० अम्बियाए किराम की कुव्वत से नवाज़ा। आपकी आंखों को हया से और आपके मुबारक कानों को गैरत से ज़बाने पाक को ज़िक्र से दोनों लबों को तस्बीह से, कल्बे अतहर को रहमत से तर फरमाया । लुआबे दहन शहद से मीठा, दन्दाने मुबारक बरकत वाले तो गोया अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अपने प्यारे महबूब को इस आखरी उम्मत का पैगम्बर बनाकर भेजा। आपकी शान ये है की एक दिन का बच्चा आपकी ख़िदमत में लाया गया आपने बच्चे से पूछा बता मैं कौन हूँ? बच्चा पुकार उठा आप अल्लाह के रसूल और आखरी नबी है।
हुजूर नबी करीम के मोज़जात
एक मर्तबा एक यहूदी नबीए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर होकर अर्ज़ करने लगा हुजूर सामने जो दरख़्त खड़ा है। वो आपके पास आकर आपकी नबूवत की गवाही दे तो ‘मैं ईमान ले आऊंगा। आका अलैहिस्सलाम ने फरमाया जाओ दरख्त से कहो तुझे अल्लाह के रसूल बुलाते हैं। वो शख्स जाता है और कहता है ऐ दरख़्त! तुझे अल्लाह के महबूब बुला रहे हैं। ये सुनते ही पूरा दरख्त चौ तरफ घूमा और अपनी जड़ें उखेड़कर बारगाहे मुस्तफा में हाज़िर होकर दरुदो सलाम पेश करता है और सजदा करते हुए कहता है बेशक आप अल्लाह के रसूल और आखरी नबी हैं। अगर आप मुझे मौसमें बहार में हुक्म फरमाते तो मैं आपकी ख़िदमत में फूल और फल लेकर हाज़िर होता।
इसी तरह एक मर्तबा अबू जहल आपकी खिदमत में हाजिर होकर कहता है बताईये ऐ मुहम्मद ! मेरी मुट्ठी में क्या है? आप बता देंगे तो मैं आप पर ईमान ले आऊंगा। आपने फरमाया तेरी मुट्ठी में जो चीज़ है वो बताएगी मैं कौन हूं। अबू जहल गुस्से में आकर कंकरियां फेंक देता है। कंकरियां हुजूर सलल्लाहु अलैही वसल्लम के कदमों में गिरती हुई कलमा पढ़ती है। एक रिवायत में है की अबू जहल की मुट्ठी ही में उन्होंने कलमा पढ़ना शुरु कर दिया। जानवर और दरख्त भी आपको सलाम करते हैं। इस तरह के ज़मीनी आसमानी और नबातात और जमादाद से मुतअल्लिक हुजूर के बेशुमार मोअजज़ात है। अल्लाह तआला हम सबको हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नक्शे कदम पर चलने की तौफीक अता फरमाए। आमीन
Eid milad un nabi के दिन हमें क्या करना चाहिए
भुने हुए चने पर फ़ातिहा । हज़रत अल्लामा शाह वलीयुल्लाह मोहद्दिसे देहलवी लिखते हैं कि उनके वालिद माजिद हज़रत मौलाना शाह अब्दुर्रहीम देहलवी फरमाया करते थे कि १२वीं शरीफ की मिलाद शरीफ़ में शीरनी और खाना तकसीम करता था, मगर एक साल कुछ तंगदस्ती हो गई तो मैने भुने हुए चने पर फातिहा देकर उन्हें तकसीम कर दिया तो मुझे ख्वाब में हुजूर रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत नसीब हुई और मैने ये देखा कि मेरे वही (फातिहा वाले) चने हुजूर अलैहिस्सलातो वस्सलाम के सामने रखे हुए हैं और रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खुश हो रहे हैं।
- नमाजे फज्र से पहले हमें उठना चाहिए हो सके तो तहज्जुद की नमाज़ अदा करे ।
- फजर की नमाज़ के बाद हमें उसी जहह बैठ कर 1 हजार मर्तबा दरूद पाक पढ़नी है
- फिर दरूद शरीफ पढ़ कर अल्लाह पाक से अपनी हाजत मांगनी है बेशक नेक और जायज दुआ काबुल होती है ।
- इस मुबारक दिन Eid milad un nabi मे हमें जितना हो सके उतना दरूद पाक की कसरत से पढ़नी चाहिए ।
- अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है की तुम लोग मेरे महबूब से मोहबत करो मे तुम से मोहबत करूंगा ।
- मगरिब के नमाज़ के बाद हमें फातिहा कहानी करवानी चाहिए जिस घर मे Eid milad un nabi के दिन फातिहा दिलाई जाती है उस घर मे कभी बे बरकाती नाजिल नहीं होती ।
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jashne eid milad un nabi फ़ज़ीलत
हुजूर रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश के वक़्त अबू लहब की एक बांदी सोवैबा ने आकर अबू लहब को खबर दी कि तुम्हारे भाई अब्दुल्लाह के घर फरजंद (यानी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पैदा हुए हैं।
नबी करीम सल्लाहो आलिहि वसलम कहा पैदा हुवे ?
अबू लहब (जो रिश्ते में हुजूर का चचा लगता था) सुनकर इतना खुश हुआ कि अपनी उंगली का इशारा करके कहने लगा- जा तू आज से आज़ाद है। सब मुसलमान जानते हैं कि अबू लहब बड़ा सख्त काफिर था। कुरआन में पूरी सूरत तब्बत यदा……. उसकी बुराई में मौजूद है। मगर हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश से खुशी मनाने का फायदा उसको हुआ। यानी जब अबू लहब मरा तो उसके घर वालों ने उसको ख्वाब में देखा, पूछा क्या गुज़री ? अबू लहब ने कहा तुमसे जुदा होकर मुझे कोई भलाई नसीब नहीं हुई – । हां मुझे इस (कलमा) की उंगली से पानी मिलता है जिसकी वजह से मेरे अज़ाब में तख़कीफ (हल्कापन) हो जाती है, क्योंकि मैने उंगली के इशारे से (अपनी बांदी सुवैबा को नबीए रहमत की पैदाइश की खुशी में) – आज़ाद किया था (बुखारी शरीफ)।
अल्लामा शमसुद्दीन मोहम्मद बिन अल जज़री रहमतुल्लाहि अलैह अबू लहब वाले वाकिआ को यूं लिखते हैं- जब काफिर अबू लहब को पैदाइश की खुशी मनाने की वजह से इनाम दिया गया तो मुसलमान का क्या हाल होगा
जो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइशे मुकद्दसा से खुश होकर आपकी मोहब्बत में अपनी हैसियत के मुताबिक ख़र्च करता है। मेरी जान की कसम कि अल्लाह तआला की तरफ से उसकी यही जज़ा (बदला) होगी कि अल्लाह तआला अपने फज़लो करम से उसे जन्नते नईम में दाख़िल फरमाएगा।
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