Aye Kash Madine Mein Mujhe Maut Yu Aaye Lyrics, naat | naat sharif
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho ए काश मदीने में मुझे मौत यूँ आए, lyrics , naat sharif
नात शरीफ | हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो |
शायर | मोहम्मद ओवैस राजा कादरी |
eid milad un nabi ki naat sharif
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
ए काश तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद-ए-मुहम्मद भी मेरे दिल में बसी हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
दो सोज़-ए-बिलाल, आक़ा ! मिले दर्द रज़ा सा
सरकार ‘अता ‘इश्क़-ए-उवैस-ए-क़रनी हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
ए काश मैं बन जाऊँ मदीने के मुसाफ़िर
फिर रोती हुई तयबा को बारात चली हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
ए काश मदीने में मुझे मौत यूँ आए
चौखट पे तेरी सर हो, मेरी रूह चली हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
जब ले के चलो गोर-ए-ग़रीबाँ को जनाज़ा
कुछ ख़ाक मदीने की मेरे मुँह पे सजी हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
जिस वक़्त नकीरैन मेरी क़ब्र में आएँ
उस वक़्त मेरे लब पे सजी ना’त-ए-नबी हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
आक़ा का गदा हूँ, ए जहन्नम ! तू भी सुन ले
वो कैसे जले जो कि ग़ुलाम-ए-मदनी हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
आक़ा की शफ़ा’अत से तो जन्नत ही मिलेगी
ए काश ! कि क़दमों में जगह उन के मिली हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
अल्लाह की रहमत से तो जन्नत ही मिलेगी
ए काश ! महल्ले में जगह उन के मिली हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
अल्लाह करम ऐसा करे तुझ पे जहाँ में
ए दा’वत-ए-इस्लामी ! तेरी धूम मची हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
‘अत्तार हमारा है, सर-ए-हश्र इसे, काश !
दस्त-ए-शह-ए-बतहा से यही चिठ्ठी मिली हो
हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho in english naat
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
Aye kaash mai banjaoon Madine ka musafir
Phir roti huwi Taibah ko baraat chali ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
Jab aaon Madine me to har chaak girebaan
Aankhaon se barasti huwi ashkaun ki jhadi ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
Aye kaash Madine mein mujhe maut yoon aaye
Qadmaun mein Tere sar ho meri rooh chali ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
Jab leke chalo gharibaan ko janazah
Kuch khaak Madine ki mere munh pe saji ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
Jis waqt nakirein meri qabr mein aaein
Us waqt mere lab pe saji Naat-e-Nabi ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
allah karam aisa kare tujh par jahaan mein
ai Dawate Islami teri dhoom machi ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
aka ka gada hoon ai jahan’nam tu bhi sunle
woh kaise jalay jo ke ghulam-e-Madani ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
aqa ki shifa’at se to jannat hi mile gi
Aye kaash Ke Qadmaun me jaga un ke mili ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
Mehfooz sada rakhna Shaha be adbaun se
Aur mujhse bhi sarzad na kabhi be adbi ho
Har waqt Tasawwur mein Madine ki gali ho
Aur yaad Muhammed ki mere dil mein basi ho
HADEES IN HINDI
हजरत उमर रदि अल्लाहु अन्हु ने आम लोगों के माल में जितनी ज्यादा एहतियात की, वह यक़ीनन हमारे लिए एक मिसाल है।
एक बार हजरत उमर की खिलाफत के दौरान बहरीन से कस्तूरी और अंबर आया; चूँकि ये चीजें जनता के लिए थीं, इस लिए हज़रत उमर रदि अल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया: अल्लाह की क़सम! मुझे एक ऐसी औरत की तलाश है जो अच्छी तरह से वजन करना जानती हो; ताकि वह इन खुशबू को अच्छी तरह तौलकर मुझे दे और मैं उन्हें मुसलमानों में बराबर इन्साफ के साथ बाँट दूँ।यह सुनकर हज़रत उमर रदि अल्लाहु अन्हु की बीवी हज़रत ‘आतिका बिन्त ज़ैद रदि अल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया: मैं तौलने में माहिर हूँ। मैं आप के लिए वजन कर सकती हूं; लेकिन हज़रत उमर रदि अल्लाहु अन्हु ने उनके प्रस्ताव (पेशकश) को ठुकरा दिया।
हज़रत ‘आतिका रदि अल्लाहु अन्हु ने इसका कारण पूछा, तो हज़रत उमर रदि अल्लाहु अन्हु ने जवाब दिया कि मुझे इस बात का डर है कि इसे तौलते समय तुम्हारे हाथों में कुछ खुशबू रह जाए और तुम इसे अपने शरीर पर पा सकते हैं।यदि आप इसे अपने बदन पर लगा दो, और अगर तुमने उसे अपने बदन पर लगा दिया तो तुम्हें अन्य मुसलमानों के मुकाबले में ज्यादा खुशबू हासिल हो जाएगी (और में इस ज्यादती को अपने परिवार के लिए पसंद नहीं करता हूं)।
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