Aisa Aaqa ho to Laazim Hai Gulaami pe Guroor ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

Aisa Aaqa ho to Laazim Hai Gulaami pe Guroor ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

Aisa Aaqa ho to Laazim Hai Gulaami pe Guroor ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर , EID E MILAD , NAAT NAAT SHARIF , NAAT LYRICS , NABI KI NAAT ISLAMINHINDIME
Aisa Aaqa ho to Laazim Hai Gulaami pe Guroor NAAT

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर NAAT , हिंदी मे

 

उनकी चौखट हो तो कासा भी पड़ा सजता है

दर बड़ा हो तो सवाली भी खड़ा सजता है

 

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।

 

ताज-ए-शाही के मुक़द्दर में ये ज़ेबाई कहाँ

जिस क़दर उन की ग़ुलामी का कड़ा सजता है

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।

 

ये गुलामी कहीं कमतर नहीं होने देती

उनका नौकर हो तो शाहों में खड़ा सजता है

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।

 

कान में हुर्र के मुक़द्दर ने ये सरगोशी की

तू नगीना है, अँगूठी में जड़ा सजता है

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।

 

सरवर-ए-दीं के मुसल्ले पे ख़ुदा जानता है

मुर्तज़ा पीछे हो, सिद्दीक़ खड़ा सजता है

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।

 

सरवर-ए-दीं के मुसल्ले पे ख़ुदा जानता है।

आगे असहाब के सिद्दीक़ खड़ा सजता है।

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।

 

जब ‘अता करने पे बैठें हों ‘अली-ओ-सय्यिदा

फिर तो जन्नत के लिए कोई अड़ा सजता है

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।

 

मौला शब्बर से ख़ुदा जाने सखी महदी तक

गुलशन-ए-ज़हरा का हर फूल बड़ा सजता है

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।

 

मुझसे कहते हैं यही अहल-ए-मोहब्बत,

सरवर ! ना’त का नग्मा तेरे लब पे बड़ा सजता है

ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर

ऐसी निस्बत हो तो फिर बोल बड़ा सजता है।


Aisa Aaqa ho to Laazim Hai Gulaami pe Guroor ऐसा आक़ा हो तो लाज़िम है गुलामी पे गुरूर IN ENGLISH

 

un ki chaukhaT ho to kaasa bhi paDa sajta hai

dar baDa ho to sawaali bhi khaDa sajta hai

 

aisa aaqa ho to laazim hai Gulaami pe Guroor

aisi nisbat ho to phir bol ba.Da sajta hai

 

taaj-e-shaahi ke muqaddar me.n ye zebaai

jis qadar un ki Gulaami ka ka.Da sajta hai kahaan

aisa aaqa ho to laazim hai Gulaami pe Guroor

aisi nisbat ho to phir bol ba.Da sajta hai

 

ye Gulaami kahin kamtar nahin hone deti

un ka naukar ho to shaahon me.n khaDa sajta hai

aisa aaqa ho to laazim hai Gulaami pe Guroor

aisi nisbat ho to phir bol ba.Da sajta hai

 

kaan me.n hurr ke muqaddar ne ye sargoshi ki

tu nageena hai, angoothi me.n ja.Da sajta hai

aisa aaqa ho to laazim hai Gulaami pe Guroor

aisi nisbat ho to phir bol ba.Da sajta hai

 

sarwar-e-dee.n ke musalle pe KHuda jaanta hai

murtaza peechhe ho, siddiq kha.Da sajta hai

aisa aaqa ho to laazim hai Gulaami pe Guroor

aisi nisbat ho to phir bol ba.Da sajta hai

 


HADEES IN HINDI

हदीस शरीफ में आया है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने फरमाया कि आपकी उम्मत सभी उम्मतों से पहले जन्नत में दाख़िल होगी और आप की उम्मत में से सबसे पहले हज़रत अबू बक्र रदि अल्लाहु अन्हु जन्नत में दाख़िल होंगे।

हज़रत अबू हूरयरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम मेरे पास आए, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे जन्नत का वह दरवाज़ा दिखाया, जिससे मेरी उम्मत दाखिल होगी।हज़रत अबू बक्र रदि अल्लाहु अन्हु ने अर्ज किया : ऐ अल्लाह के रसूल! काश कि मैं आप के साथ उस वक्त होता (जब हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने आप को जन्नत का वह दरवाज़ा दिखाया); ताकि मैं भी देखता।आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : ऐ अबू बक्र! जरूर मेरी उम्मत में सब से पेहला इन्सान जो जन्नत में दाख़िल होगा, वह आप होंगे।


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