11 vi sharif ki fatiha कैसे दे | Gaus pak
असलामु अलैकुम आज हम 11 vi sharif ki fatiha कैसे दे | gaus pak की फातिहा का आसान तरीका हम आपको इस पोस्ट मे बताएँगे आप अगर 11 vi sharif ki fatiha एक बार पढ़ लेंगे तो आप हर एक तरह की फातिहा आसानी से दे सकते हो । और सवाब पंहुचा सकते हो । gyarvi sharif
हम सभी को आदाब ए फातिहा का लिहाज़ रखना चाहिए जिस से सवाब मुकम्मल पहुंचे हम सब फातिहा सवाब के लिए तो कर ते हैं अगर ऐसे में हम सही से फातिहा नहीं पढ़ेंगे तो फातिहा का सवाब मुकमल तौर से नहीं पहुँचता और हमें भी कुरान पाक की तिलावत का सही सवाब नहीं मिल पता । इसलिए हम सभी को फातिहा कतरीका सीखना चाहिए ।
आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद यकिनन बहुत ही आसानी से बिला खलल के फातिहा पढ़ना सिख जाएंगे कुछ लोग फातिहा का तरीका नहीं जानते लेकिन इस पैग़ाम को पढ़ने के बाद आप को फातिहा पढ़ने का तरीका भी जानेंगे और फातिहा करने का सही तरीका भी मालुम हो जाएगा। अल्लाह ताला खुद कुरान मजीद मे इरशाद फरमाता है की तुम लोग करने पाक की तिलावत और दरूद पाक की कसरत से फातिहा दिया करो और उसका सवाब अल्लाह ताला के बर्गज़ीदा बन्दों और अपने मरहुमिन तक पहुंचाया करो ।
11 vi sharif ki fatiha कैसे दे | Fatiha Karne Ka Tarika
आप फातिहा करने के लिए सबसे पहले बा वज़ु मतलब वजु के साथ किब्ला कि तरफ रुख करके पाक जगह पर बैठ जाएंगे और फातिहा की चीज जैसे खाना , मिठाई , पानी वगैरा सामने रख लेंगे बेहतर है की कोई भी चीज़ पैक या ढक कर न रखें फिर नीचे लिखी हुई बात पर अमल करें।
- दुरुदे इब्राहिम 3 तीन मरतबा पढ़ें।
- सूरह फातिहा 1 एक मरतबा पढ़ें।
- 3. सूरह क़ाफिरून 1 एक मरतबा पढ़ें।
- सूरह इख्लास 3 तीन मरतबा पढ़ें।
- सूरह फलक 1 एक मरतबा पढ़ें।
- सूरह नास 1 एक मरतबा पढ़ें।
- सूरह फातिहा 1 एक मरतबा पढ़ें।
- सूरह बकरह मुफ्लिहुन तक 1 एक बार पढ़ें।
इसके बाद ‘इन्नल्लाहा व मला इकतहु व सल्लुना अलन्नबिय्यि ये वाली पुरी आयते करीमा पढ़ें इसे पढ़ने के बाद सुबहाना रब्बिक व रब्बिल इज्जते अमा यस व सलामुन अलल मुरसलिम वल्हम्दुलिल्लाही रब्बिल आलमिन ये पढ़ कर अल फातिहा कहें इसके बाद जो दुआ करनी हो वो दुआ करें। gyarvi sharif
फातिहा करने का तरीका तफ़्सीर gaus pak ki fatiha
सबसे पहले किसी भी पाक जगह पर खुद किब्ला कि रूख कर के वजु के साथ यानी सही से वजु करके बैठ जाएं जिस तरह से नमाज पढ़ने समय शहद में बैठा जाता है फिर अब फातिहा शुरू करें सबसे पहले कम से कम तीन दफा और हो सके तो ग्यारह मरतबा दुरूदे इब्राहिम पढ़ें। ( 11 vi sharif ki fatiha दे रहे है तो हमें 11 मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए )
दुरुदे इब्राहिम
अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
अल्लाहुम्म सल्लिअला सैय्यिदिना मुहम्मदिव व अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदीन कमा सल्लै त अला सय्यिदिना इब्राहिम व अला आलि सय्यिदिना इब्राहिमा इनका हमीदु मजीद अल्लाहुम्मा बारिक अल्ला सय्यिदिना मुहम्मदिव व अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदिन कमा बारकता अल्आ सय्यिदिना इब्राहिम व अला आलि सैय्यिदिना इब्राहिमा इन्नका हमीदुम मजीद।
( बेहतर है की जब हम gaus pak ki fatiha दे रहे हो तो यही दरूद पढ़े ) इसे कम से कम तीन बार पढ़ें या ग्यारह मरतबा पढ़ें
Surah kaferun सुरह काफिरून
अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
कुल या अय्यूहल काफिरुन. ला आअबुदू मा ताअ बुदून व ला अन्तुम आबिदू न मा बुदवला अना आबिदुम माअबत्तुम. वला अन्तुम आबिदू न मा आअबुद लकुम दीनुकुम वलि यदीन ।(इसे एक ही बार पढ़ें।) इसके बाद सुरह इख्लास पढ़ें।
Surah ikhalas सुरह इख्लास
फिर सूरह इखलास 3 मरतबा पढ़े ( महफ़िल मे फातिहा दे रहे हो तो आपके साथ 3 मर्तबा सुरह इखलास पड़ने को कहे )
कुल हु वल्लाहु अहद्. अल्लाहुस समद, लम ‘य लिद् वलम यूलद. वलम यकुं ल्लहु कुफुवन अहदा इसके बाद सुरह फलक पढ़ें।
surah falak सूरह फलक़
अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
कुल अऊजु बिरब्बिल् फलक, मिन शरि मा खलक व मिन शरि गासिकीन इजा वकब व मिन शरि नफ्फासाति फिल उकद व मिन शरि हासिदीन इजा हसद् । इसे सिर्फ एक बार पढ़ें इसके बाद सुरह नास पढ़ें।
surah nas सुरह नास
अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
कुल अऊजु बिरब्बिन्नास, मलिकीन्नास इलाहिन्नास मिन शरिल वस्वासिल खन्नासिल, लजी युवसविसु फि सुदूरिनास. मिनल जिन्नति वन्नासा सुरह नास भी एक बार पढ़ें फिर इसके बाद सुरह फातिहा पढ़ें।
Surah fatiha सूरह फातिहा
अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
अलहम्दु लिल्लाहि रव्विल आलमिन, अर्रहमा निर्रहीम, मालिकि यौमिद्दिन इय्याका नअबुद्ध व इय्याका नस्तईन. इहदिनस सिरातल मुस्तकी म. सिरातल लजी न अन अम्ता अलैहिम गैरिल मगदुबि अल्लैहिम वलद्दाल्लीन। (इसे एक ही बार पढ़ें।)फिर सूरह बक़रह 1 मरतबा पढ़े
Aurah baqra सुरह बकरा
अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
अलिफ लाम मिम जालीकल किताबु ला रै बहि. हुदल लील मुत्तकीनल्लजीना यूमिनूना बिल गैबि व युकिमुनस्सलाता व मिम्मा रजकनाम यूनफिन, वल्लजीना युमिन ना बिमा उनजिला इलैका चमा उनजिला मिन कब्लिक व बिल आखिरती हुम यूकिनुन उलाइका अला हुदम मिर रब्बिहिम व उलाइका हुमूल मुफलिहून
इसके बाद नीचे वाली आयते करीमा यानी आयते खामसह पढ़ें।अब 1 बार आयते खामसह पढ़े
Aayate khamsa आयते खामसह
व इलाहुकुम इलाहुं वाहीद. लाइलाहा इल्ला हुर्रहमानुरहिम इन न रहमतल्लाही करिथुम मिनल मुहसिनीन. वमा अरसलनका इल्ला रहमतल लिल आलमिन. मा का ना मुहम्मदुन अबा अ हदिम मिर रिजालिकुम वला किर रसुलल्लाहि व खातमन नविय्यीन व कानल्लाहू बिकुल्लि शैइन अलीमा. इनल्लाहा व मलाइ क त हू यूसल्लूना अलन्नबिय्यि या अय्यूहल लजिना आमनू सल्लु अलैहि व सल्लमू तस्लिमा ।
इसे पढ़ने के बाद सुबहाना रब्बिक व रब्बिल इज्जते अमा यसिन व सलामुन अलल मुरसलिम वल्हम्दुलिल्लाही रब्बिल आलमिन ये पढ़ कर अल फातिहा कहें इसके बाद जो दुआ करनी हो वो दुआ करें। आपको समझने के लिए हमने दुआ की तरकिब बताई है। इसे भी पढ़ें:
फातिहा में क्या क्या पढ़ा जाता है बख्शने का तरीका
ऐ अल्लाह जो कुछ कलाम दुरूद शरीफ पढ़ा और कुरान मजिद की आयतें तिलावत की उनका सवाब और इस खाना या शिरनी का सवाब मेरी तरफ़ से हुज़ूर सरवरे कायनात सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को न पहुंचा दे।फिर उनके वसीले से तमाम अंबियाए किराम अलैहिस्सलाम व सहाबा और तमाम औलिया वउलमा को अता फरमा खुसुसन हजरते गौसे पाक hajrat abdul kadir jilani रजियल्लाहु तआला अन्हु ख्वाजये अजमेरी
रजियल्लाहु तआला अन्हु को न पहुंचा दें। फिर कोई शख्स को पहुंचाना हो तो अब नाम ले इस तरह से की फलां कि रूह को सवाब पहुंचा दे और तमाम मोमिनीन व मोमिनात की रूहों को सवाब पहुंचा दे और आपकी जो कोई जाइज़ तमना और जो आपकी मुराद या आपको किसी के लिए दुआ करनी हो सभी अपने लफ्जो मे मगे याद रखिये मेरा रब बंद लबो की बोलिया भी जनता है । अल्लाह रहीमो करीम है उसके खजाने मे किसी किस्म की कोई कमी नहीं है ।
अल्लाह हमरे दिलो के हल हम से बेहतर जनता है और आमिन या रब्बिल आलमिन बिरहमति क या अर्हमार रहीमिन
11 vi sharif ki fatiha का कुछ अफ़ज़ल तरीका
- हमें 11 vi sharif के महीने मे ही फातिहा देनी चाहिए
- अगर अल्लाह ताला ने आपको नवाज़ा है तो आप मिस्कीनों , गरीबो मे gaus pak के नाम से खाना या और जरूरियात के चीज़े तकसीम करे
- gyarvi sharif बेहतर है की हमें बच्चो को खाना खिलाना चाहिए
- 11 vi sharif ki fatiha फातिहा के वक्त 11 चिराग भी करे
- घर ,मोहले और अपनी मस्जिदों मे रोशनी का एहतमाम रखे
फातिहा की दलील 11 vi sharif ki fatiha
नबी करीम सलल्लाहो अलैहि वसलम खुद इरशाद फरमाते है की ये इम्मान वालो अल्लाह से डरो और उसके रह मे वसीला तलाश करो जब खुद अल्लाह के महबूब ने इरशाद फ़रमाया और करने मजीद मे बहोत सी जगहों पर पाया जाता है की अल्लाह ताला खुद इरशाद फरमाता है की तुम लोग कुरान मजीद की तिलावत किया करो और मेरे बर्गज़ीदा बन्दों और अपने मरहुमिन के लिए दुआ किया करो और उन्हें सवाब पहुंचाया करो
11 vi sharif ki fatiha की दलील
रिवायत – हज़रते इमाम याफई रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपनी किताब कुर्रतुल नाज़िर में लिखते हैं कि एक मर्तबा सरकारे गौसे आज़म gaus pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने 11 तारीख को हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में नज़ पेश की, जिसको बारगाहे नब्बी से क़ुबूलियत की सनद मिल गई फिर तो सरकारे ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हर महीने की 11 तारीख को हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में नज़राना पेश करने लगे,चुंकि आपका ननों नियाज़ का मामूल हमेशा का था सो मुसलमानो ने इसे आपकी तरफ़ ही मंसूब कर दिया जिसे ग्यारहवीं शरीफ कहा जाने लगा, खुद सरकार ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का फरमान है कि मैंने कितनी ही इबादत और मुजाहिदात किये मगर to मैं भूखों को खाना खिलाने में पाया उतना किसी अमल से ना पाया काश कि मैं सारी ज़िन्दगी सिर्फ लोगों को खाना खिलाने में ही सर्फ कर देता. gause azam
हमारे गौसे आज़म, सफह 282
“क्या ये दलील कम है कि खुद हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु sarkar gause azam तआला अन्हु हर महीने हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम न यानि फातिहा ख्वानी का एहतेमाम करते थे, और आपके बाद भी पिछले 800 साल से ज़्यादा के बुजुर्गाने दीन और उल्माये किराम का अमल इसी पर रहा है सिवाए मुट्ठी भर वहाबियों को छोड़कर, और ज़रूरत पड़ने पर खुद उनके यहां भी फातिहा होती है जैसा कि अब मैं उनकी किताबों से ही दलील देता हूं” abdul kadir jilani r.a.
gaus pak ki naat lyrics गौस पाक नात शरीफ gyarvi sharif
Fatiha ka tarika in Hindi | फातिहा करने का आसान तरीका
KHuda ke fazl se ham par hai saaya Gaus-e- aazam ka naat गौस-ए-आज़म नात शरीफ
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