मुसलमान अपने पड़ोसियों के बारे मे ये सोचते है ?
जो शक्श इस्लाम धर्म को मानता और उसपर ईमान लाता है उसे मुसलमान कहते है , आज हम आपको बताएँगे की एक मुसलमान muslman अपने पडोसी के बारे मे क्या खयाल [ सोच ] रखते है और उनके मजहब [ धर्म ] मे इस बारे मे क्या कहा गया है
आज मैं आपको एक पड़ोसी के दूसरे पड़ोसी पर जो नौ हक होते हैं, उनके बारे में बताने जा रहा हूँ। करीब दस-पंद्रह साल पहले हम अपने पड़ोसियों के साथ हमदर्दी जताते थे, लेकिन आजकल ऐसा माहौल हो गया है कि हमें सालों-साल पता ही नहीं चलता कि हमारे पड़ोस में कौन रहता है। इस्लाम में पड़ोसी के बहुत से हक बताए गए हैं, और पड़ोसी के साथ अच्छा बर्ताव करना, उसे भाई समझना, इस पर इस्लाम ने बहुत जोर दिया है। नबी करीम सलल्लाहो अलैहि वसलम ने फ़रमाया है और बहोत से हदीसो में पड़ोसी के हक बताए गए हैं
Muslman पडोसी के हक़ और हदीस HADDES
- हसन बसरी रहमतुल्लाहि अलैह से रिवायत है कि हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से पूछा गया कि पड़ोसी का क्या हक है, तो आपने नौ हक बताए। पहला हक, जब वह आपसे कर्ज मांगे तो उसे कर्ज दो। अगर आपके पड़ोसी को जरूरत हो और वह आपसे कर्ज मांगता है, तो उसे कर्ज दें। आजकल बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो कर्ज लेते हैं लेकिन वापस नहीं करते। अगर आपने किसी को कर्ज दिया है और जानते हैं कि वह नहीं लौटाएगा, तो वह अलग मामला है। लेकिन अगर वह सच में जरूरतमंद है और आपसे कर्ज मांग रहा है, तो एक पड़ोसी का यह हक है कि उसे कर्ज दिया जाए।
- अगर वह आपको दावत दे, तो उसकी दावत कबूल करें। आजकल हम अपने पड़ोसियों की अहमियत नहीं समझते। सालों से हमारा पड़ोसी हमारे पास ही रह रहा होता है, लेकिन हमें पता ही नहीं होता कि वह कौन है। करीब दस-पंद्रह साल पहले हम पड़ोसियों के घर खाना भिजवाते थे, जब कुछ बनता था। हमें याद है कि हमारे घर भी पड़ोस से खाना आता था। शादी वगैरह में पड़ोसी परिवार की तरह शामिल होते थे। लेकिन आजकल यह परंपरा खत्म होती जा रही है, जो इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ है।
- अगर कोई पडोसी बीमार हो जाए, तो उसकी देखभाल करो। आपका पड़ोसी बाएं, दाएं, आगे-पीछे या आसपास कोई भी हो सकता है। जब वह बीमार हो जाए, तो उसकी खैरियत पूछें। इस्लाम हमें सिखाता है कि किसी की बीमारी में हमदर्दी जताना इंसानियत और अपनेपन का इज़हार है। अगर हम बीमार हों और पड़ोसी हमें देखने आएं, तो हमें कितनी खुशी होगी। यही सोचकर हमें भी अपने बीमार पड़ोसी की देखभाल करनी चाहिए। इससे समाज में प्यार और हमदर्दी बढ़ती है।
- अगर वह आपसे मदद मांगे, तो उसकी मदद करें। अगर उसे किसी परेशानी में मदद की जरूरत है, तो उसकी मदद करें। जैसे कि अगर उसके घर में चोर या कोई मुसीबत आ जाए, तो उसका साथ दें। यही सच्चे muslman होने की पहचान है
- अगर वह मर जाए, तो उसके जनाज़े में शामिल हों। सातवां हक, अगर वह किसी मुसीबत में पड़ जाए, तो उसके साथ हमदर्दी जताएं और उसकी मदद करें।
- अगर वह घर से बाहर जाए, तो उसके परिवार की देखभाल करें। अगर आपका पड़ोसी बाहर जाता है और उसके घर में कोई नहीं है, तो उसके परिवार का ख्याल रखें।
- आपकी हांडी की महक उसे तकलीफ न दे। अगर आपके घर में अच्छा खाना बन रहा है और आप जानते हैं कि आपका पड़ोसी ऐसा नहीं बना सकता, तो उस खाने में से थोड़ा सा उसे भी भिजवा दें, ताकि वह और उसके बच्चे भी उस खुशी का हिस्सा बन सकें।
- हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि अपनी हांडी की महक से पड़ोसी को तकलीफ न पहुंचाओ। अगर कुछ अच्छा बना है, तो थोड़ा पड़ोसी के यहां भी भेजें। आजकल हम पड़ोसियों के हक भूल गए हैं। अब तो रमज़ान में भी इफ्तारियाँ पहुंचाना बंद हो गया है। हमें अपने पड़ोसी का नाम तक मालूम नहीं होता। इस्लाम हमें सिखाता है कि अच्छे समाज के लिए पड़ोसी के हकों का ख्याल रखें। इस वीडियो को शेयर करें ताकि हमें पड़ोसी के हक का पता चल सके और हम इन पर अमल कर सकें।
हमें सही समज कर इस्लाम और नबी करीम सलल्लाहो अलैहि वस्सल्लम ने बताई हुवी बातो पर अमल करने की तौफीक अत फरमाए और एक सच्चा मुसलमान muslman बनाये । आमीन
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